ब्यूरो रिपोर्ट - शमीम अहमद सहारनपुर
27 बीघा शत्रु संपत्ति को जगजीत सिंह ने मंत्रालय से कराया अपने नाम, संपत्ति उनके नाम होने के बाद कुछ लोगों ने कर रहे हैं ब्लैकमेल।
सहारनपुर नकुड क्षेत्र के जगजीत सिंह ने एक व्यक्ति पर लगाए गंभीर आरोप, 27 बीघा शत्रु संपत्ति को जगजीत सिंह ने मंत्रालय से कराया था अपने नाम, संपत्ति के ऐवज में एक व्यक्ति उनका लगातार कर रहा है पैसों के लिए ब्लैकमेल।
आपको बता दें सहारनपुर नकुड़ क्षेत्र के समाजसेवी जगजीत सिंह ने जानकारी देते हुए बताया, उनकी नकुड़ में 27 बीघा शत्रु संपत्ति को ग्रह मंत्रालय द्वारा उनके नाम अधिकृत कर दिया गया जबकि नकुड़ का एक पत्रकार उन्हें लगातार इस बाबत ब्लैकमेल कर रहा है और रंगदारी मांग रहा है, जिससे जगजीत सिंह की छवि धूमिल हो रही है और वो मानसिक रूप से आहत है, इसकी जानकारी आज जगजीत सिंह ने नकुड़ स्थित अपने आवास पर पत्रकारों को दी, जगजीत सिंह ने पत्रकारवार्ता में पत्रकारों को बताया कि उनके दादा दर्शन सिंह 1967-68 में पंजाब के जलंधर से आकर सहारनपुर में बस गए थे, यहां उन्होंने उस समय लगभग 150 बीघा कास्त की भूमि खरीदी और उस पर खेती कर परिवार के भरण पोषण में लग गए, समय बीतता रहा इसी बीच 21 मार्च वर्ष 2020 में जगजीत को पता चला कि उसकी 27 बीघा भूमि शत्रु संपत्ति घोषित कर दी गयी है, इसको लेकर जगजीत ने सभी दस्तावेजों के साथ गृह मंत्रालय में अपील दायर कर दी, जिसमे 21 जुलाई 2020 को जगजीत सिंह को इसमे राहत मिली और उक्त सम्पत्ति पर स्टे मिल गया,
इसी बीच एक स्थानीय पत्रकार (तहसील नकुड़ का ) इनके सम्पर्क में आया और जगजीत सिंह से कभी उसके पक्ष में खबर छपवाने को तो कभी गृह मंत्रालय में अपनी पकड़ बताकर जमीन का मामला जल्द निपटवाने की बात कहकर अब तक लाखों रुपये वसूल चुका है,
जबकि लगातार पैरवी के चलते जगजीत को इसमें कामयाबी मिली और 08 जुलाई 2025 में एक आदेश पारित हुआ जिसमें गृह मंत्रालय द्वारा उक्त 27 बीघा भूमि को शत्रु संपत्ति से मुक्त कर दिया गया। इसके बाद उक्त पत्रकार जगजीत सिंह के पास पहुँचा और 5 लाख रुपये नगद व 1000 गज जमीन की मांग करने लगा इतना ही नही जब जगजीत सिंह द्वारा उसकी मांग मानने से मना कर दिया गया तो उक्त पत्रकार ने अपने अखबार में इस संपत्ति और गृह मंत्रालय के आदेश को लेकर झूठी खबर छाप दी जिससे जगजीत सिंह व उसका परिवार बहुत परेशान है। जगजीत सिंह का कहना है कि अखबार में छपे सभी तथ्य निराधार और झूठे हैं जिससे वह और उसका परिवार आहत है और अब जगजीत सिंह न्यायालय के शरण मे जाने को मजबूर हैं।